आज के दौर में भारतीयों का बढ़ता एमबीबीएस के प्रति मोह किसी से छुपा नहीं है क्यों भारतीय करना चाहते है। क्या यह पैसा कमाने का लालच है या सेवा भाव है/ इसको समझना बहुत ज़रूरी है। वैसे आजकल जहा नज़र डालो हर इंसान सिर्फ और सिर्फ पैसो के पीछे भाग रहा है। अगर डॉक्टर के पेशे को देखा जाये तो वह भी सेवा कम पैसा ज़यादा कामना चाहता है। जहा कोई व्यक्ति गोली दवाई से सही हो सकता है वही डॉक्टर की कोशिश उसे ऑपरेशन तक ले जाने की होती है। दवाई और गोली की जो जेनेरिक और महंगी दवाई के कांसेप्ट से अलग लोगो को लूटा जा रहा है। एक भारतीय छात्र जो की सेवा भाव से प्रेरित होकर डॉक्टर बनना चाहता है। वह आज किसी भी देश से डॉक्टरी कर के जब आता है तो वह पूरी तरह बदल चूका होता है क्यूंकि जो ट्रेनिंग वह हांसिल करके आया है वह उसे एक कसाई बना चुकी होती है। अब उसका मक़सद लोगो से पैसा कमाना रह जाता है। जब रूस और यूक्रेन युद्ध हुआ तब पता चला की लगभग हर देश मेंएन २० से 25 हज़ार तक भारतीय डॉक्टरी करने गए हुए है। वह इसलिए गए हुए है की चीन , रूस , कजाकिस्तान , बांग्लादेश, अमेरिका , आदि देशो में एमबीबीएस सस्ता हो रहा है भारत में जहा एमबीबीएस के ६० से 80 लाख लग रहे है। वही और देशो से 40 से 45 लाख लगते है।
विदेशो से एम बीबीएस में प्रवेश लेने से पहले रखे ध्यान। .
विदेश में प्रवेश लेने से पहले एन एमसी से लेनी होगी एन ओसी।
एन एम सी मान्य कॉलेज में ही लेना होगा प्रवेश।
पढाई के दौरान एन एम ी सी के नियमो का करना होगा पालन।
विदेश में पढ़ाई के बाद इंटरशिप नियम का सख्ती से करना होगा पालन।
भारत में प्रक्टिस के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट अनिवार्य।
जिन्हे देश में प्रवेश नहीं मिल रहा है इनमे से कई विदेश में एमबीबीएस करने की तैयारी करने लगे है पिछले 5 सालो में बदले एन एम सी नियमो के चलते विदेशी एमबीबीएस विद्यार्थी की देशी में प्रैक्टिस करने की राह काफी कठिन होती जा रही है। इसलिए एन एम सी ने ही विदेशो से प्रवेश ली से पहले विद्यार्थी को सावधानी बरतने की सूचना दी है। हाल ही में फिलीपींस में एमबीबीएस कर रहे भारतीयों को एन एम सी ने नोटिफिकेशन जारी किये। अभिभावकों का कहना है की एन एम सी के नोटिफिकेशन के चलते उनके बच्चो का भारत में प्रक्टिस करने का सवाल खड़ा हो गया है. इस समय गुजरात के 3000 और सूरत के 400 से अधिक विद्यार्थी फिलिपीअन्स में पढ़ रहे है। वे इससे प्रभावित हो रहे है।
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भारतीय नियमो का पालन अनिवार्य।
बदलते नियम ने की कठिन राह
केंद्र और एन एम सी की और से विदेश में एमबीबीएस कर रहे विद्यार्थियो को लेकर नए नए नियम बनाये जा रहे है। इन नए नियमो के कारन विदेशी एमबीबीएस करने वाले विद्यार्थियो को काफी दिक्कतों का सामना करना पढ़ सकता है। जिन्हे गुजरात के साथ देश के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश नहीं मिला है वैसे हज़ारो विद्यार्थी एजेंट के माधयम से विदेश में एमबीबीएस करने जा रहे है। मेडिकल प्राध्यपको का कहना है की विदेश में प्रवेश लेने से पहले एन एम सी की मार्गदर्क्षिका सही से पढ़ी जाये। वहा और यहाँ के इंटर्नशिप के नियम और देश में प्रक्टिस के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट और नेक्स्ट परीक्षा जैसे कठिन पढ़ावो से गुजरना होगा।
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